कोरोना वायरस यह कोई नया वायरस नहीं है यह इन्फ्लून्जा वायरस के फॅमिली का है, इन्फ्लून्जा वायरस काफी वेलनोन है हमें नेमोनिअ जैसे डीसीस करने के लिए,कोरोना वायरस का जो नाम है कोरोना वह इसके क्राउन लाइक अपेरियंस की वजह से इस का नाम कोरोना वायरस रखा गया था।
यह सारी डिटेल्स बहोत ज्यादा जेनुअन है। इस का जो सोर्स है ,वो WHO की साइड से लिया गया है ,और हेरेसन एक बुक चलती है 4 yr मेडिसिन में इंटरनेशनल बुक है, उस से भी लिया गया है।
कोरोना वायरस पहले भी अपना आउट ब्रेक शो कर चुका है,यह एक टाइप का झुनोटिक वायरस है,झुनोटिक वायरस एनिमल्स में होते है और ट्रांसवर होकर मनुष्य में आते है।
आपने तो सुना ही होंगा के चाइना के लोगो ने परिंदे/साप या चूहे को खाया तो उन्हें कोरोना वायरस हो गया,यह जरूरी नहीं है, जयसे के यह ज़ूनोटिक वायरस है, तो यह किसी भी एनिमल्स से आसकता है।
सेम इसका एक और आउट ब्रेक है जो चाइना में पहले भी होचुका है, 2004 में यह वायरस चाइना को पहले भी अटेक कर चुका है।
और एशिया में भी इसके केसेस दिखे थे लेकिन ज्यादा से ज्यादा चाइना में दिखे थे 90 % से ज्यादा। अभी फ़िलहाल की बात करे तो चाइना में सोमवार 24-02-2020 को करीबन 2,592 लोगो की मौत हो चुकी है।
और कन्फर्म केसेस की रेंज 77,000 -78,810 है,एक इंपोर्टेंट बात के केसेस इतने ज्यादा तो फिर डेथ कम कैसे तो यह डिपेंड करता है वायरस की क्षमता पे, वायरस की क्षमता अगर 9.5 है तो इस का मतलब की 100 में से 9 या 10 लोगो की मोत होंगी।
WHO की टीम ने 10 feb को चाइना में 12 लोगो की टीम भेजी थी। ताकि इस्पे रीसर्च करके प्रिवेंट बता सके। इंडिया की बात करे तो इंडिया अभी ज्यादा इंफेक्टेड नहि हुआ है और केरेला में अभी तक सिर्फ तीन केसेस मिले है।
एक और चीज समझाना चाहेंगे, बहोत सिरियस है,कहा जारहा है की होसकता है ,की USA में भी इस का ट्रांस्मिशन देखने मिले यह सिर्फ होसकता है।
एक्चुअली में जो WHO के हेड है उन्होंने कहा था के अगरUSA में इसे लाइटली लिया गया तो USA में भी इस का ट्रांस्मिशन दिख सकता है।
क्यूंकि कुछ ऐसे केसेस भी दिखे है जो सस्पेक्टेड है। सस्पेक्टेड और कन्फर्म में यह फर्क है के कन्फर्म याने होचुका है और सस्पेक्टेड याने हो सकता है।
35 कंट्रीस में यह बीमारी फ़ैल चूकि है। इसीलिए इस को अब पेन्डामेक बोला जाये गा।
पेन्डामेक से क्या प्रॉब्लम होती है। जाये से के अभी तक बीमारी सिर्फ चाइना में थी मगर एक इंसान अगर बहार के देश में जाये गा तो यह बीमरी वहा भी होंगी।
इटली की अगर हम बात करे तो अभी तक इटली में 200 केसेस देखे गए है। कुछ एसे बाते है की क्या हम गार्लिक /अल्कोहल /क्लोरीन /ऋणजिंग ऑफ़ नोज से क्या कोरोना वायरस को मार सकते है ,तो लग भग सिर्फ अल्कोहल से।
कॉम्पेनियन एनिमल्स की बात करे तो जैसे के डॉग तो ऐसा कुछ अभी तक देखा नहीं है, की आपके पेट से आपको यह बीमारी हो।
अब बात करेंगे की किस को यह बीमारी हो सकती है, तो ओल्ड पीपल /अस्थमा पेशन्ट /हार्ट डीसीस पेशंट जैसे लोगो को यह बीमारी जल्दी पकड़ेंगी। और क्या इस में एंटी बायोटिक का यूज़ है। तो नहीं है, कुकी एंटी बायोटिक बैक्टीरिया के लिए काम करता है।
अब हम बात करेंगे की कोरोना वायरस बॉडी में कैसे फैलता है। जिसे हम पैथोजेनेसिस कहते है। यह एक ड्रॉपलेट इन्फेक्शन है, मतलब अगर हम खासते है या छिकते है ,तो जो बैक्टीरिया हवा में उड़ते है ,और दुसरो के शरीर में चले जाते है ,और उन्हें भी बीमारी होजाती है, उसे ड्रॉपलेट इन्फेक्शन कहते है, जैसे के कॉमन कोल्ड है।
सबसे पहले यह वायरस हमारे रेस्पिरेटरी ट्रैक ( स्वसन नलिका ) में आता है,फिर यह सिलिटेड एपिथीलियम ( स्वसन नलिका के अंदर) में आके रुकता है, और रेस्पिरेटरी ट्रैक के वॉल को नुकसान पहचाता है।
फिर यह वायरस ट्रैकिया के अंदर जहा पे ब्लड फ्लो होता है ,वह चला जाता है,यानि हमारे खून में जा मिलता है, और यह फिर शरीर के किसी भी हिस्से में जासकता है।
मानलेते है अगर यह दिल में चला गया तो हार्ट फेलिअर होसकता है ,या वायरस अगर किडनी में चलागया तो किडनी फेलिअर होसकता है, कोरोना वायरस से सिर्फ निमोनिआ या कोल्ड ही नहीं होता।
यह वायरस खून के ज़रिये पुरे शरीर में जाता है, तो बहोत सरे अलग अलग बीमारिया होसकती है, बहोत से लोगो की मोत इतर फेलिअर से होती है। लेकिन इसके लक्षण कॉमन कोल्ड जैसे है। जैसे के कोल्ड /कफ /हेडेक / फीवर /मयलजीआ (पैन इन हॉल बॉडी ) .
अब बात करेंगे प्रिवेंशन की तो सबसे पहले हमें इस वायरस को शरीर में आनेसे रोकना है।
1 ) हैंड वॉश (बार बार हाथ धोये )
2 ) फेस मास्क (छींकते या खासते समय मु पे कपडा रखे )
3 ) ट्रेवल (दूर का सफर न करे भीड़ भाड़ से दूर रहे )
इस पर कोई भी वैक्सीन नाले, कोई भी टेबलेट नाले, कोरोना वायरस के खिलाफ अभी तक कोई वैक्सीन या टेबलेट बनी नहीं है।
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